देहरादून के मालदेवता क्षेत्र में विगत 16 सितंबर को भारी बारिश और बाढ़ से मची तबाही में थाना फतेहपुर (सहारनपुर) क्षेत्र के गांव रसूलपुर स्थित मजरा मीरपुर से मजदूरी करने आए चार मजदूर लापता हो गए थे। जिसमें से कड़ी मशक्कत के बाद एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस ने कल तीन शव बरामद कर लिए हैं, लेकिन चौथा मजदूर अभी भी लापता है। इस हादसे से गांव सहित परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। ग्राम सभा प्रधान ने पीड़ित परिवारों को सरकार से आर्थिक मुआवजा दिलाए जाने की मांग की है।
बताया जा रहा है कि देहरादून के मालदेवता स्थित बेंगनी हाला क्षेत्र में पत्थर तुड़ाई का काम कर रहे 55 वर्षीय श्यामलाल पुत्र फूलसिंह, 23 वर्षीय मिथुन पुत्र सेवाराम, 33 वर्षीय धर्मेंद्र पुत्र ध्यान सिंह और 28 वर्षीय विकास पुत्र पलटूराम (पलटू) नदी के तेज बहाव में बह गए थे। मिथुन के पिता सुभाष ने थाना रायपुर में इस मामले की तहरीर देकर बताया कि सभी मजदूरों से फोन पर संपर्क टूट गया है। तहरीर मिलते ही एनडीआरएफ की 6 सदस्यीय टीम ने ड्रोन, स्निफर डॉग्स और गोताखोरों की मदद से सर्च ऑपरेशन शुरू किया तो कल सुबह करीब 10 बजे हर्रा क्षेत्र में सफलता मिली, रेस्क्यू टीम को श्यामलाल, मिथुन और विकास के शव नदी किनारे फंसे मिले। धर्मेंद्र की तलाश डाउनस्ट्रीम इलाकों में अभी भी जारी है। बरामद शवों को पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है। शव बरामद होते ही रसूलपुर सहित गांव मीरपुर के लोगों में शोक व्याप्त है।
पीड़ित परिवार के सुभाष ने रोते हुए कहा, मेरा इकलौता बेटा चला गया, परिवार उजड़ गया है। उधर श्यामलाल की पत्नी का रोना थम नहीं रहा, जबकि विकास के घर में सन्नाटा पसरा हुआ है। ग्रामीण एक-दूसरे को सांत्वना दे रहे हैं, और शोक की लहर आस-पास के गांवों में फैल रही है। भारतीय किसान यूनियन (तोमर) के पश्चिमी प्रदेश अध्यक्ष पारित उपाध्याय और उसके पिता रसूलपुर के मौजूदा प्रधान सुशील उपाध्याय ने रेस्क्यू टीम का धन्यवाद करते हुए उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश की सरकारों से पीड़ित परिजनों को 50-50 लाख रुपए का आर्थिक मुआवजा और पीड़ित परिवार के एक-एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी की मांग की है। जिला प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को 50 हजार रुपये अग्रिम सहायता देने का ऐलान किया है। यह घटना देहरादून की व्यापक आपदा का हिस्सा है, जहां मानसून में 27 मौतें हो चुकी हैं और 10 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। विशेषज्ञ अवैध खनन, जलवायु परिवर्तन और नदियों में बढ़ते अतिक्रमण को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट